Jindagī unlimited /

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Bibliographic Details
Author / Creator:Ārā, Jīnata, 1987- author.
Edition:Saṃskaraṇa prathama.
Imprint:Dillī : Prabhāta Prakāśana, 2017.
Description:208 pages : illustrations (black and white) ; 23 cm
Language:Hindi
Subject:
Format: Print Book
URL for this record:http://pi.lib.uchicago.edu/1001/cat/bib/11725226
Hidden Bibliographic Details
Varying Form of Title:Zindagi unlimited
ISBN:9789352660919
9352660919
Notes:In Hindi.
Summary:Autobiography of Jīnata Ārā, born 1987, a spinal muscular atrophy patient from Noida, India.
Description
Summary:वह कोई साधारण लड़की नहीं थी, बल्कि बहुत अलग और दिलचस्प लड़की थी। वह आज भी जिंदगी को पूरी तरह से जीने में यकीन करती है और एक भी पल ऐसा नहीं जाने देती, जिसका वह मजा न लेती हो। वह विकलांगता (एस.एम.ए.) से पीडि़त तो थी, लेकिन इसमें वह कुछ नहीं कर सकती थी और सोचने तथा बोलने के अलावा, वह उन बच्चों की तरह थी, जो अपनी सारी जरूरतों के लिए अपनी माताओं पर निर्भर होते हैं। वह भी दूसरों पर निर्भर थी, लेकिन उसने अपनी विकलांगता को अपनी खुशी की राह में कभी आड़े नहीं आने दिया। उसे खुद नहीं पता था कि खुदा ने आखिरकार उसे बनाने में और उसे सुंदर लड़की के रूप में बड़ा करने में कुछ समय लगाया होगा। उसने कभी अपनी खूबसूरती पर ध्यान नहीं दिया। हालाँकि बाद में, उसे दूसरों से ही यह पता लगा। लोग उसकी तारीफ करते थे और उसे सराहते थे, जिससे उसे यकीन हुआ कि वह सबसे खूबसूरत इनसानों में से एक है। वह एक लाल गुलाब की तरह है, जिसमें खुदा ने सुंदर सुगंध भर दी है। एक दिव्यांग लड़की की प्रेरणाप्रद कहानी कि कैसे विषम परिस्थितियों में उसने हिम्मत न हारकर, अपनी अद्भुत जिजीविषा के बल पर जिंदगी को मजे से जीया और अपनी शारीरिक अक्षमताओं को बाधा नहीं बनने दिया।
Physical Description:208 pages : illustrations (black and white) ; 23 cm
ISBN:9789352660919
9352660919